Tuesday, April 26, 2011

Ehsaas...




ये  शब्दों  का  है   हेर  फेर ,
या  दिल  ने  सच  में  ही  सोचा  है ,
है  यादो  का  ये   हेर  फेर ,
या  ख्वाबों  में  सच  में  देखा  है ? 

वो  पहली  नज़र  की  यादें  जब  रातों  को  तनहा  करती  थी 
जब  चाँद  की  मद्धम  किरणों  में  तुमको  ही  देखा  करते  थे ,
जब  शुरुआत  तुम्हारी  आँखें  थी , और  अंत  तुम्हारा  दामन  था ,
जब  दिल  से  हरसू  चुपके  से  बस  बात  तुम्हारी  करते  थे ..

जब  प्यार  के  आँचल  में  लिपटी  हर  शाम  की  रंग  उतरती  थी ,
और  रात  के  उन  सन्नाटों  में  हम  तुमको  खुद  में  ही  पाते   थे ,
जब आहों  से  थे  घिरे  हुए , तब  हम  भी  शायर  होते  थे ,
खुद  सुनते  थे , खुद  लिखते  थे , शीशे से  पुछा  करते  थे …..

ये  शब्दों  का  है   हेर  फेर ,
या  दिल  ने  सच  में  ही  सोचा  है ,
है  यादो  का  ये   हेर  फेर ,
या  ख्वाबों  में  सच  में  देखा  है ? 

जब  तेरी  बस  वो  झलक  मात्र, एक  उपलब्धि  सी  होती  थी,
जब  तेरी  बस  एक  ध्वनि  मात्र, जीवन  सारंगी  होती  थी,
जब  कहने  को था पंथ लिखा पर  कुछ  ना कहने  पाते  थे ,
जब  तेरी  आँखों  के  गागर  में  हर  पर  डूबे  रहते  थे,

जब  प्यार  के  चादर  में  लिपटी, हर  सुबह  हमारी  होती थी,
और  हर  पल  हर  छीन  जीवन  में तुमको  ही  ढूंडा  करते  थे,
जब  रंगों  से  थे  घिरे  हुए, रंगसाज  तब  हम  भी  होते थे,
कुछ  करते  थे, बस  रंगते  थे, शीशे  से  पुछा  करते  थे....

ये  शब्दों  का  है   हेर  फेर ,
या  दिल  ने  सच  में  ही  सोचा  है ,
है  यादो  का  ये   हेर  फेर ,
या  ख्वाबों  में  सच  में  देखा  है ? 


1 comment:

  1. dil ke kisi kone mein dabe hue ik ehsaas ko tumne hain jaga diya...GR8888...:)

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