अंजाम...
मैं वक़्त के लम्हों के हर एक पल से तुम्हारी यादें मिटा रहा हूँ ,
ना जाने ये कैसी कोशिश है मेरी, ना जाने की इसका अंजाम क्या है,
मैं तो बस अपनी इन रूकती रघों को फिर जीने का मकसद बता रहा हूँ.
मैं वक़्त के लम्हों के हर एक पल से तुम्हारी यादें मिटा रहा हूँ।
मैं जानता हूँ ये आंसान नहीं है
अतीत का हर पल मिटाना
मैं जानता हूँ ये भी मुमकिन नहीं है
खुद से ही खुदको परे हटाना
फिर क्यूँ मैं सागर के तह तक डूबे, हर इट पत्थर को जा हटा रहा हूँ
मैं क्या कहूँ... तुम समझ रही हो...
की मैं तो बस अपनी इन रूकती रघों को फिर जीने का मकसद बता रहा हूँ.
मैं वक़्त के लम्हों के हर एक पल से तुम्हारी यादें मिटा रहा हूँ।
ना तेरे जाने का गम है कोई ,
न दिल टूटने का है दर्द मुझको,
न तुमसे ही कोई सिकवा है करनी,
न खुद से ही कोई गिला है मुझको
ये वो सच हे मेरा जिससे मैं दिल को, दिन रात युही बहला रहा हूँ
ये वो सच हे मेरा जिससे मैं दिल को, दिन रात युही बहला रहा हूँ
मैं क्या कहूँ... तुम समझ रही हो...
की मैं तो बस अपनी इन रूकती रघों को फिर जीने का मकसद बता रहा हूँ.
मैं वक़्त के लम्हों के हर एक पल से तुम्हारी यादें मिटा रहा हूँ।
जो चाहता था, वो हो न पाया,
वो हो ना पाया या कर ना पाया,
तेरी जिद थी? मेरा गुरूर था?
सब जल गया कुछ बच ना पाया.
इन उलझनों में उलझ गया हूँ , और उलझे ही रहना चाहता हूँ
मैं क्या कहूँ... तुम समझ रही हो...
इन उलझनों में उलझ गया हूँ , और उलझे ही रहना चाहता हूँ
मैं क्या कहूँ... तुम समझ रही हो...
की मैं तो बस अपनी इन रूकती रघों को फिर जीने का मकसद बता रहा हूँ.
मैं वक़्त के लम्हों के हर एक पल से तुम्हारी यादें मिटा रहा हूँ।
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