कमजोर हैं वो लोग जो लेते हैं सहारा भगवान् का,
मैं तो कहता हुं, तुम लो सहारा अपने अन्दर के इंसान का,
जो करोगे तुम वोही काम तुम्हारे आएगी,
ना आश्तिकता इसको बढ़ाएगा, न नास्तिकता इसको घटाएगी,
भगवान् है वो चीज़ जो इंसान ने मतलब के लिए बनायीं है,
पर है वो जहाँ के करता धरता, हर धर्म में यही बताई है,
तो कहाँ रहता है वो करता, जब कोई भूके पेट सोता है,
कहाँ रहता है वो करता, जब कोई गम में अपने रोता है.
तो कहते है लोग, ये तो पूर्व जन्म की कमाई है,
तो भैया, निम्नलिखित नियम भी तो तुम्ही ने हमें बताई है,
की हर जन्म का फैसला उसी जन्म में हो जाता है,
कोई मुझको बताये ये पूर्व जन्म का चक्कर फिर कैसे आता है.
जब बनाया हे सब कुछ उसने, तो पाप किसने बनाया है,
कोई किस्मत में अपने सुख, तो कोई दुःख क्यूँ लाया है,
तो कहते है लोग ये तो उसकी लीला उसकी प्रवृति है.
क्या इंसानों के बीच में भेद भाव येही उसकी संस्कृति है.
जब होते हैं हम सफल तो भगवान् बीच में आता है,
हमारी सफलता का सारा श्रेह अपने नाम ले जाता हे,
पर जब आती हे असफलता तो भगवान् कहा छुप जाता है,
हमारी असफलता का श्रेह उसके नाम क्यूँ नहीं जाता है,
क्यूँ ना दोषी ठहराए हम उसे अपनी असफलता के लिए,
क्यूँ ना कटघरे में लाये हम उसे अपनी दुर्दसा के लिए,
तुम ही ने तो कहा है की,
उसके इजाज़त के बिना एक पत्ती नहीं हिल पाती है,
कोई मुझको कहे, फिर ये असफलता कैसे मिल जाती है,
तो कहते है लोग ये तो अपने कर्मो का परिणाम है,
तो जब सब कर्मो का ही चक्कर है तो भीच में क्यूँ भगवान् है,
इसलिए कहता हुं की भगवान् है वो चीज़ जो इंसान ने मतलब के लिए बनायीं है,
तुम कर्म करो सफलता मिलेगी यह बात लिखी लिखी है.....