Thursday, November 5, 2009

Badlao......



ये क्या कर रहा मैं,
उसकी आह सुन रहा मैं,
मेरी आत्मा को किसने जगा दिया,
मेरे दिल को नादाँ बना दिया,
मैं तो सामाजिक जीव था,
क्यूँ? इन्सां मुझको बना दिया.

ये क्या कर रहा मैं,
सच्ची राह चुन रहा मैं,
मेरा इरादा किसने हिला दिया,
क्या मुझको मिला के पिला दिया,
मैं तो बस सच का पुजारी था,
क्यूँ? सच्चा मुझको बना दिया.

अरे ये क्या कर रहा मैं,
साबसे प्यार कर रहा मैं,
मेरी सिक्षा को किसने भुला दिया,
मुझमे से मुझको मिटा दिया,
मैं तो लक्ष्मी का संगी था,
क्यूँ? ब्रम्हा मुझको बना दिया.

ये क्या कर रहा मैं,
सबके ख्वाब बुन रहा मैं,
मुझे भगीरथ किसने बना दिया,
गंगा से मुझको मिला दिया,
मैं तो सपनो  का व्यापारी था,
ये मुझको किसने सुला दिया,

मैं तो सामाजिक जीव था,
क्यूँ? इन्सां मुझको बना दिया.

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